


दो प्रदेशों के विकास का सेतु
राजस्थान की सबसे लम्बी पुलिया गैंता माखीदा
हाड़ौती की जनता का 50 वर्ष पुराना गैंता माखीदा चम्बल पुल का सपना आखिर भाजपा राज में साकार हो गया। ये सेतु दो जिले नहीं दो प्रदेशों के विकास का सेतु है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने आमजन की भावनाओं का सम्मान करते हुए इसे मंजूरी दी और गैंता माखीदा का पुल जनता को समर्पित होने के साथ ही हजारों लोगों का सपना साकार हो सका। किसान अपनी फसल को शीघ्र ही मंडी तक पहुंचा पा रहा है, वहीं राजमार्ग एक पर बने उच्च स्तरीय पुल से 70-100 किलोमीटर तक दूरी कम हो गई है।

परवान चढ़ी परवन
हाड़ौती की लाइफलाइन परवन सिंचाई परियोजना के नाम पर कांग्रेस के द्वारा 50 साल से राजनीति होती रही, वादे कर लोगों के साथ छल किया गया, लेकिन यह परवान नहीं चढ़ पाई। भाजपा सरकार ने इसे हकीकत में बदला है। परवन का पानी अब जल्द ही हाड़ौती के कोटा, बूंदी और बारां जिले के लाखों किसानों को सरसब्ज करेगा और यहां के सैकड़ों गांवों की प्यास बुझाएगा। परियोजना के पूरा होने पर यह बारां, झालावाड़ और कोटा जिले के लिए जीवनरेखा बनेगी। परियोजना का पहला चरण पूरा होने पर बारां के 194, झालावाड़ के 81 और कोटा जिले के 38 सहित कुल 313 गांवों की 1 लाख 31 हजार 400 हैक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सकेगी। परियोजना का दूसरा चरण पूरा होने पर बारां के 118, झालावाड़ के 36 और कोटा के 170 सहित कुल 324 अतिरिक्त गांवों की 70 हजार हैक्टेयर भूमि सिंचित होगी। इस परियोजना में सिंचाई जल का उपयोग बून्द-बून्द और फव्वारा पद्धति से किया जाएगा। सिंचाई के साथ-साथ इस परियोजना से पेयजल की सुविधा भी मिलेगी। बारां, झालावाड़ व कोटा जिले के 1 हजार 821 गांवों की प्यास बुझाएगा। इस परियोजना से शेरगढ़ अभयारण्य को पानी मिलेगा। परियोजना के 79 मिलियन घनमीटर जल से 2970 मेगावाट तापीय विद्युत उत्पादन हो सकेगा। परवन बहुउद्देश्यीय सिंचाई परियोजना में 50 मिलीयन घनमीटर पानी बारां के 936, झालावाड़ के 309 और कोटा के 576 सहित 1821 गांवों में पीने का पानी पहुंचेगा। जिले में अटरू के 115, छीपाबड़ौद के 176, छबड़ा के 17, अंता के 33, मांगरोल के 23, बारां के 49, किशनगंज के 190 और शाहाबाद के 177 सहित जिले के कुल 936 गांवों को पीने का पानी मिलेगा।

24 दिसम्बर 2009 की शाम को चम्बल का हैंगिंग ब्रिज धाराशायी हो गया। इसके बाद कांग्रेस के कार्यकाल में फिर से इसका निर्माण प्रारंभ नहीं हो पाया। इस कारण से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का महत्वाकांक्षी प्राजेक्ट करोडों रूपए की राशि से निर्मित ईस्ट वेस्ट काॅरिडोर देश को समर्पित नहीं हो पा रहा था। जब 2014 में केन्द्र में भाजपा की नरेन्द्र मोदी सरकार आई, सांसद ओम बिरला के अथक प्रयासों से सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़करी के सहयोग से हैंगिंग ब्रिज का निर्माण संभव हुआ। हैगिंग ब्रिज के उद्घाटन के बाद से शहर में होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आई है।

आजकल आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की जनता को फिर से गुमराह करना शुरू कर दिया है। उनका इलेक्शन मूवमेन्ट इस बार भी वही है। झूठ का प्रचार किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर झूठ ही परोसा जा रहा है।
फ्रीडम का अनवाॅन्टेड यूज कुछ इस तरह से करते हैं कि इलेक्शन कमिशन को अपना चाबुक चलाना ही पडता है।
वे अब अवसरवादी राग अलाप रहे है। अगर देश के विकास के लिए कोई साथ चले तो उसे अवसरवादी कह रहे हैं। भारत को समृद्ध, शक्तिशाली और विकसित देश बनाने की विचारधारा अपनाने वाले सभी लोग एक जगह मिलकर काम करेंगे, इसे अवसरवादिता नहीं कहा जाना चाहिए। यह तो देश के लिए कुछ करने का सुअवसर है। यह जज्बा है देश सेवा करने का।
भारतीय जनता पार्टी की मुख्यमंत्री उम्मीदवार श्रीमती किरण बेदी जी को हम सब भली भांति जानते हैं। महिलाओं के लिए वे एक आईकन है। जब किसी लडकी को लाईफ में बडा अचीवमेंट मिलता था तो यही मिसाल दी जाती थी कि किरन बेदी है ये। किरन बेदी बनेगी।। और यही उनके लिए सबसे बडा उपहार हो जाता था। आजकल इन लाइन्स को सूथिंग वर्ड्स में बोला जाता है।
और अब यही महिला दिल्ली की हिफाजत करेगी।

मन की बात में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कम्युनिज्म की नई परिभाषा दी। उन्होंने कहा, एक समय कम्युनिस्ट विचारधारा वाले दुनिया में आह्वान करते थे-दुनिया के कामगारो एक हो जाओ, आज मैं कहूंगा-युवको, दुनिया को एक करो।’

Hear Live: ‘Mann ki Baat’ with PM Narendra Modi and President Barak Obama on 27 January 8 PM onwards.

सभी भाईयों और बहनों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं। आज गणतंत्र दिवस के मौके पर सभी भारतीय राष्ट्रीय जज्बे से लबरेज हैं। भारत का संविधान विश्व का सर्वश्रेष्ठ लिखित संविधान है। आजादी के दीवानों ने हमें न केवल स्वतंत्रता दिलाई बल्कि राष्ट्र निर्माण का जिम्मा भी सौंपा है। श्रेष्ठ संविधान के साथ श्रेष्ठ राष्ट्र बनाना है और इसी प्रण के साथ नेशन फर्स्ट के लिए कार्य करते रहेंगें।
इस गणतंत्र दिवस पर अमेरिका के राष्ट्रपति श्री बराक ओबामा जी भारत के अतिथि है। अतिथि देवो भवः की हमारी परम्परा का निर्वहन करते हुए हम अमेरिका के राष्ट्रपति श्री बराक ओबामा जी का आदर करते हैं।

Slippers distribution on mother’s day to the needy kids
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राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक परमपूज्य माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर
(श्री गुरुजी) की पुण्यतिथी पर शत-शत नमन !
निर्वाण दिवस 5 जून 1973
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक। सन् 1940 से 1973 इन 33 वर्षों में श्रीगुरुजी नें संघ को अखिल भारतीय स्वरुप प्रदान किया। इस कार्यकाल में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारप्रणाली को सूत्रबध्द किया। श्रीगुरुजी, अपनी विचार शक्ति व कार्यशक्ति से विभिन्न क्षेत्रों एवम् संगठनों के कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणास्रोत बनें। श्रीगुरुजी का जीवन अलौकिक था, राष्ट्रजीवन के विभिन्न पहलुओं पर उन्होंने मूलभुत एवम् क्रियाशील मार्गदर्शन किया। “सचमुच ही श्रीगुरूजी का जीवन ऋषि-समान था।”
भारतवर्ष की अलौकिक दैदीप्यमान विभूतियों की श्रृंखला में श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर का राष्ट्रहित, राष्ट्रोत्थान तथा हिन्दुत्व की सुरक्षा के लिए किये गये सतत कार्यों तथा उनकी राष्ट्रीय विचारधारा के लिए वे जनमानस के मस्तिष्क से कभी विस्मृत नहीं होंगे। वैसे तो २०वीं सदी में भारत में अनेक गरिमायुक्त महापुरुष हुए हैं परन्तु श्रीगुरुजी उन सब से भिन्न थे, क्योंकि उन जैसा हिन्दू जीवन की आध्यात्मिकता, हिन्दू समाज की एकता और हिन्दुस्थान की अखण्डता के विचार का पोषक और उपासक कोई अन्य न था। श्रीगुरुजी की हिन्दू राष्ट्र निष्ठा असंदिग्ध थी। उनके प्रशंसकों में उनकी विचारधारा के घोर विरोधी कतिपय कम्युनिस्ट तथा मुस्लिम नेता भी थे।
ईरानी मूल के डा. सैफुद्दीन जीलानी ने श्रीगुरुजी से हिन्दू-मुसलमानों के विषय में बात करते हुए यह निष्कर्ष निकाला, ष्मेरा निश्चित मत हो गया है कि हिन्दू-मुसलमान प्रश्न के विषय में अधिकार वाणी से यथोचित मार्गदर्शन यदि कोई कर सकता है तो वह श्रीगुरुजी हैं।
निष्ठावान कम्युनिस्ट बुध्दिजीवी और पश्चिम बंगाल सरकार के पूर्व वित्त मंत्री डा. अशोक मित्र के श्री गुरुजी के प्रति यह विचार थे, ष्हमें सबसे अधिक आश्चर्य में डाला श्री गुरुजी ने……..उनकी उग्रता के विषय में बहुत सुना था ……..किन्तु मेरी सभी धारणाएं गलत निकलीं …….. इसे स्वीकार करने में मुझे हिचक नहीं कि उनके व्यवहार ने मुझे मुग्ध कर लिया।ष्
नागपुर आकर भी उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहा। इसके साथ ही उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अत्यन्त खराब हो गयी थी। इसी बीच बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से उन्हें निदर्शक पद पर सेवा करने का प्रस्ताव मिला। 16 अगस्त, सन् 1931 को श्री गुरुजी ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्राणि-शास्त्र विभाग में निदर्शक का पद संभाल लिया। यह अस्थायी नियुक्ति थी। इस कारण वे चिन्तित भी रहा करते थे।
अपने विद्यार्थी जीवन में भी माधव राव अपने मित्रों के अधययन में उनका मार्गदर्शन किया करते थे और अब तो अध्यापन उनकी आजीविका का साधन ही बन गया था। उनके अध्यापन का विषय यद्यपि प्राणि-विज्ञान था, विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनकी प्रतिभा पहचान कर उन्हें बी.ए. की कक्षा के छात्रों को अंग्रेजी और राजनीति शास्त्र भी पढ़ाने का अवसर दिया। अध्यापक के नाते माधव राव अपनी विलक्षण प्रतिभा और योग्यता से छात्रों में इतने अधिक अत्यन्त लोकप्रिय हो गये कि उनके छात्र उनको श्श्गुरुजीश्श् के नाम से सम्बोधित करने लगे। इसी नाम से वे आगे चलकर जीवन भर जाने गये। माधव राव यद्यपि विज्ञान के परास्नातक थे, फिर भी आवश्यकता पड़ने पर अपने छात्रों तथा मित्रों को अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, गणित तथा दर्शन जैसे अन्य विषय भी पढ़ाने को सदैव तत्पर रहते थे । यदि उन्हें पुस्तकालय में पुस्तकें नहीं मिलती थीं, तो वे उन्हें खरीद कर और पढ़कर जिज्ञासी छात्रों एवं मित्रों की सहायता करते रहते थे। उनके वेतन का बहुतांश अपने होनहार छात्र-मित्रों की फीस भर देने अथवा उनकी पुस्तकें खरीद देने में ही व्यय हो जाया करता था।
श्रीगुरुजी का प्रथम सम्पर्क राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से बनारस में हुआ।
बनारस में अध्यापनकाल के दौरान श्री गुरुजी ने श्री रामकृष्ण परमहंस तथा स्वामी विवेकानन्द जी का समग्र साहित्य पढ़ लिया था। बनारस में एक कार्यक्रम में नियम तोड़ कर अन्य मार्ग से भीतर प्रवेश करने वाले एक अहंकारी अध्यापक को रोकने वाले स्वयंसेवकों का भी श्री गुरुजी ने साथ दिया था। जनवरी 1933 को उनकी बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की सेवाएँ समाप्त हो गयीं, जिस कारण उन्हें नागपुर वापस आना पड़ा।
दीक्षा के पश्चात् श्री माधव राव संतुष्ट प्रतीत होते थे। उनके हाथों श्री गुरु सेवा यत्नपूर्वक तन-मन से हो रही थी, इसी में उनके आश्रम प्रवास के दिन संतोष में बीत रहे थे। इस जीवन से वह पूर्णतया समरस हो गये थे। व्यक्तिगत सुख-सुविधाएँ, कठिनाई आदि का विचार उन्हें छू तक नहीं पाया। श्री बाबा जी का उनके विषय में विचार था कि, ष्वह जिस काम में हाथ डालेंगे, वह सोना हो जायेगा।ष्। श्री माधव राव की इच्छा हिमालय पर्वत पर जाने की थी। इस कारण श्री अतिमाभ महाराज जी ने श्री बाबा जी से पूछा, ष्माधवराव हिमालय जाने की इच्छा अतिशय प्रबल है।ष् इस पर श्री बाबा जी ने उत्तर दिया, ष्यह डाक्टर हेडगेवार के साथ रह कर कार्य करेगा, ऐसा लगता है। शुध्द भाव से समाज सेवा में रहेगा। वह हिमालय का दर्शन अवश्य करे, परन्तु एकांत वास न करे, इसका ध्यान रखना।